राजेश विश्वकर्मा
150 करोड़ का बायो सीएनजी गोवर्धन प्लांट देवगुराडिय़ा ट्रेेंचिंग ग्राउंड पर स्थित है , जिसका वर्चुअल लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था और इसे कचरे से कंचन बनाने का नवाचार बताया और अभी जब केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में देश का आर्थिक सर्वेक्षण 2023 प्रस्तुत किया तो उसमें इस गोवर्धन प्लांट का उल्लेख केस स्टडी के रूप में करना बताया… दूसरी तरफ निगम के वर्तमान कर्णधारों के लिए यह प्लांट एक बड़ा घोटाला है, जिसमें मुनाफाखोरी से लेकर रॉयल्टी चोरी के आरोप लगाते हुए खबरों का प्रकाशन भी करवाया ताकि तत्कालीन निगमायुक्तों को कठघरे में खड़ा किया जा सके… जबकि सर्वमान्य तथ्य ये है कि इन अफसरों और कचरा संग्रहण और निपटान करने वाली निजी कम्पनियों की बदौलत ही इंदौर लगातार 7 बार स्वच्छता में नम्बर वन का खिताब हासिल कर सका और देश-दुनिया में उसकी साख कई गुना बढ़ी जो अब तेजी से धूल धूसरित हो रहीं है… कुछ समय पूर्व उजागर हुए निगम के फर्जी बिल महाघोटाले में भी साजिशाना कुछ अफसरों को फंसाने का षड्यंत्र हुआ… चूंकि कोई तथ्य थे ही नहीं तो मामला टाय टाय फिस्स साबित हुआ और पुलिस गिरफ्त में आए निगम इंजीनियर और ठेकेदार ही अब तक की जांच में असल दोषी निकले है… इसी बीच महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सूखा कचरा लेने वाली नेप्रा कम्पनी के ठेके में भी अनियमितता के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिख इस कथित घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर दी… इतना ही नहीं गोवर्धन प्लांट से जुडी खबरों में महापौर ने अपनी प्रतिक्रिया में मोदी जी द्वारा सराहे इस प्लांट पर ही सवालिया निशान खड़े कर दिए ,नतीजतन इंदौर की जनता के सामने प्लांट स्थापित करने वाली कंपनी मुनाफाखोर तथा रॉयल्टी चोर निरुपित कर दी गई… जबकि हकीकत ये यह है कि निगम को जो रॉयल्टी का पैसा नहीं मिला वह उल्टा निगम द्वारा खरीदी गैस के भुगतान के रूप में कम्पनी को ही चुकाना है… कम्पनी पर ये भी आरोप लगे कि वह काह्न नदी को दूषित कर रही है और इस प्लांट से इंदौर को कुछ हांसिल नहीं हुआ…महापौर द्वारा प्लांट की गैस की गुणवत्ता को भी अच्छा नहीं बताया गया …जबकि इसी प्लांट से निकली सीएनजी को अवंतिका गैस खरीदकर अधिक दरों पर सिटी बसों को सप्लाय कर रही है… अब यह तो मोदी सरकार के लिए सोच का विषय है कि वह जिस प्लांट को केस स्टडी बताते हुए मध्यप्रदेश की सराहना कर रहा है और ये बात खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के लिए गर्व करने लायक है, उसी प्लांट को निगम के वर्तमान कर्ताधर्ता फर्जी और फिजूल बता रहे हैं… अब ये तो केन्द्र की मोदी सरकार तय करें कि वो सही है या निगम के वर्तमान कर्णधार बम भोले