भरण-पोषण की राशि बढ़ाने की लगाई थी अर्जी/ हाईकोर्ट ने घटा दी
एक महिला को पति से अलग होने के बाद भरण-पोषण की राशि 60 हजार रुपए महीना मिल रही थी… लेकिन महिला को इससे भी संतुष्टि नहीं हुई और उसने राशि बढ़ाने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगा दी
हाईकोर्ट ने राशि बढ़ाने की बजाय और घटाते हुए उसे 40 हजार रुपए कर दिया… खबरों के मुताबिक इंदौर हाईकोर्ट ने कहा कि ”महिला खुद भी पढ़ी-लिखी है… वह शादी से पहले और शादी के दौरान भी जॉब करती थी… अलग होने के बाद भी उच्च शिक्षित होने के चलते नौकरी कर सकती है… इसके लिए उसे किसी ने रोका भी नहीं… उसे पति से अच्छी पगार अलग मिल रही है, इस कारण वह जॉब न करे, यह तो गलत है… पत्नी भरण-पोषण की राशि को ही आइडियल माने तो भी गलत है…” हाईकोर्ट ने इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों का भी हवाला दिया… कोर्ट ने यह भी माना कि फैमिली कोर्ट द्वारा जो मेंटेनेंस की राशि 60 हजार रुपए महीना किया गया वह भी बहुत ज्यादा है… भरण-पोषण की इतनी ज्यादा राशि की आवश्यकता नहीं… बता दें कि दोनों कपल की राशि 2003 में हुई थी… पति यूएई की एक आईटी कम्पनी में जॉब करते हैं… पत्नी भी वहीं पर एक बैंक में जॉब करती थी… दोनों में कोई संतान भी नहीं है… 2015 में घरेलू विवाद के चलते विवाद होने लगे और 2016 में पत्नी ने अलग रहते हुए पति पर भरण-पोषण का केस लगा दिया… इसके बाद 2019 में फैमिली कोर्ट ने पति को 60 हजार रुपए महीने देने का आदेश सुना दिया… इस भारी-भरकम राशि से भी महिला असंतुष्ट रही और उसने हाईकोर्ट में राशि बढ़ाने की मांग की थी, जिसे बढ़ाने की बजाय घटा दिया गया