रिपोर्ट राजेश विश्वकर्मा
आज का युग तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण और शहरीकरण का है, जिसके कारण पर्यावरण में गंभीर परिवर्तन हो रहे हैं। जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण, और जैव विविधता का ह्रास जैसे मुद्दे हमारे सामने हैं। ऐसे में, श्रष्टि सेवा संकल्प एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हमें पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में प्रेरित करता है।श्रष्टि सेवा संकल्प का अर्थ है कि हम अपनी जिम्मेदारियों को समझें और पर्यावरण के प्रति सजग रहें। यह संकल्प हमें प्रेरित करता है कि हम न केवल अपने व्यक्तिगत स्तर पर, बल्कि सामूहिक रूप से भी पर्यावरण के प्रति जागरूक रहें। वृक्षारोपण, जल संरक्षण, और प्लास्टिक के उपयोग में कमी जैसे छोटे-छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं।इसके अतिरिक्त, शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से हम समाज को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बना सकते हैं। जब हम सभी मिलकर श्रष्टि सेवा संकल्प को अपनाएंगे, तभी हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित कर पाएंगे। यह न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उपहार भी है।पर्यावरण, परंपरा और संस्कृति: एक अंतर्संबंधपर्यावरण, परंपरा और संस्कृति का गहरा संबंध है। हमारी परंपराएँ और सांस्कृतिक मूल्य अक्सर हमारे आस-पास के पर्यावरण से जुड़े होते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के लिए अनेक प्रथाएँ और मान्यताएँ विकसित हुई हैं।
1. प्राकृतिक संसाधनों का सम्मान: – कई संस्कृतियों में जल, वायु, भूमि और वन जैसे प्राकृतिक संसाधनों को पवित्र माना जाता है। उदाहरण के लिए, भारतीय संस्कृति में नदी गंगा को मां माना जाता है, जिससे उसके संरक्षण की प्रेरणा मिलती है।
2. वृक्षों का महत्व: – वृक्षों को जीवन का प्रतीक माना जाता है। कई समुदायों में वृक्षों की पूजा की जाती है और उन्हें संरक्षित करने के लिए विशेष उत्सव मनाए जाते हैं, जैसे कि ‘वृक्षारोपण दिवस’।
3. परंपरागत कृषि पद्धतियाँ: – पारंपरिक कृषि प्रथाएँ अक्सर पर्यावरण के अनुकूल होती हैं। जैसे, जैविक खेती, फसल चक्र और स्थानीय बीजों का उपयोग आदि। ये विधियाँ न केवल उत्पादकता बढ़ाती हैं, बल्कि मिट्टी और जल के स्वास्थ्य को भी बनाए रखती हैं।
4. सांस्कृतिक उत्सव: – कई सांस्कृतिक उत्सव पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हैं। जैसे, ‘पौधारोपण उत्सव’ या ‘जल बचाओ’ कार्यक्रम, जो लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक करते हैं।
5. लोककथाएँ और मिथक: – लोककथाएँ अक्सर पर्यावरण संरक्षण के महत्व को दर्शाती हैं। इनमें प्राकृतिक तत्वों की पूजा और उनके साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा दी जाती है।
6. संवेदनशीलता और शिक्षा: – हमारी परंपराएँ हमें सिखाती हैं कि हम अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहें। यह न केवल हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है।
निष्कर्ष
पर्यावरण, परंपरा और संस्कृति का संबंध हमें यह सिखाता है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। हमारी सांस्कृतिक धरोहर में निहित ज्ञान और अनुभव हमें एक स्थायी और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। आज के समय में, हमें इन परंपराओं को अपनाते हुए एक नई दिशा में आगे बढ़ना होगा, ताकि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकें।पर्यावरण, परंपरा और संस्कृति एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। हमारी परंपराएँ और सांस्कृतिक मूल्य अक्सर हमारे प्राकृतिक परिवेश से प्रभावित होते हैं। विभिन्न संस्कृतियों में पर्यावरण के प्रति सम्मान और संरक्षण की भावना विकसित हुई है, जो हमें प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देती है।भारत में, जल, वायु, भूमि और वन को पवित्र माना जाता है। उदाहरण के लिए, गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है, जिससे उसके संरक्षण की प्रेरणा मिलती है। वृक्षों की पूजा और उनकी रक्षा के लिए विशेष उत्सव मनाए जाते हैं, जैसे ‘वृक्षारोपण दिवस’, जो हमें वृक्षों के महत्व का एहसास कराते हैं।
पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ भी पर्यावरण के अनुकूल होती हैं। जैविक खेती, फसल चक्र और स्थानीय बीजों का उपयोग न केवल उत्पादकता बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी और जल के स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है। सांस्कृतिक उत्सवों में जल और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है, जैसे ‘जल बचाओ’ कार्यक्रम, जो हमें हमारी जिम्मेदारियों का एहसास कराते हैं।लोककथाएँ और मिथक भी पर्यावरण संरक्षण के महत्व को दर्शाते हैं। इनमें प्राकृतिक तत्वों की पूजा और उनके साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा दी जाती है। संक्षेप में, पर्यावरण, परंपरा और संस्कृति का संबंध हमें यह सिखाता है कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए। हमारी सांस्कृतिक धरोहर में निहित ज्ञान हमें एक स्थायी और संतुलित जीवन जीने की प्रेरणा देता है। आज के समय में, हमें इन परंपराओं को अपनाते हुए एक नई दिशा में आगे बढ़ना होगा ताकि हम अपने पर्यावरण को सुरक्षित रख सकें।