लेखक प्रीती अटारिया
महिला वकील की आवाज क्यों नही बन रही महिलाये देश में
तोमर जो कि जानी मानी अधिवक्ता थीं 2 सितम्बर को अपने घर से स्कूटी से निकली और लापता हो गयीं…मोहिनी तोमर कोई सामान्य घरेलू महिला न थीं… जानी मानी अधिवक्ता थीं… और पिछले कुछ समय से लगातार एक केस के चलते उन्हें धमकाया जा रहा था वो केस था चंदन गुप्ता हत्या काण्ड… वही चंदन गुप्ता जो 15अगस्त को तिरंगा रैली के समय जहादियों द्वारा मार दिया गया…. मोहिनी चंदन क़ी तरफ़ से थीं…इसी के चलते उनपर लगातार दबाव था…गायब होने के बाद मोहिनी को ढूंढने में वो गंभीरता न दिखाई गयी जो प्रशासन द्वारा दिखाई जानी चाहिए थी मोहिनी तोमर के पति द्वारा 6 लोगों को नामजद किया गया पुलिस के आगे जिनके नाम मुस्तफ़ा कामिल उसके तीन बेटे हैदर, असद, सलमान…. दो इनके सहयोगी मुनाजिर रफ़ी व केशव मिश्रा…इनको न पुलिस ने उठाया न कोई सवाल जवाब किया…अपहरण के तीन दिन बाद मोहिनी तोमर क़ी नग्न लाश नहर से बरामद हुईं… उनकी हत्या की गयी…. पूरी सम्भावना है हत्या पूर्व उनके साथ अन्य दुर्व्यवहार भी हुए हों…एक पानी में डूबी हुईं लाश से फॉरेनसिक एविडेंस मिलना सरल नहीं…..लाश मिलने के बाद भी और अभियुक्तों के नामजद होने के बाद भी अगले दो दिन पुलिस ने इनपर हाथ न डाला…… जब जनता का गुस्सा सड़क और अन्य माध्यम से बाहर आया… बात लखनऊ तक पहुंची तब अभियुक्तों में से मुस्तफ़ा एंड संस धरे गए…..ये मुस्तफ़ा एंड संस एंड कंपनी चंदन गुप्ता हत्याकांड के अभियुक्तों के वकील भी हैं…मेरे दो सवाल….क्या मोहिनी तोमर का अपराध था कि उन्होंने जहादियों के विरुद्ध लड़ने की हिम्मत दिखाई….?क्या प्रशासन का ये रवैया आपको दुर्दान्त नहीं लगता…. और अगर है… मुझे क्या इसपर नियंत्रण की उम्मीद रखनी चाहिए.. उम्मीद ज्यादा नहीं हैं मुझे…. लेकिन ईश्वर से प्रार्थना है बहन मोहिनी तोमर को न्याय मिले….