रिपोर्ट -राजेश विश्वकर्मा
इंदौर शहर मे नगर निगम की मनमानी इस कदर देखने को मिलेगी ऐसा इंदौर की जानता ने कभी सपने मे भी नहीं सोचा होगा इंदौर शहर मे मकान ऒर अतिक्रमण मे बने मकान ऐसे ढहा दिए जा रहें जैसे कोई घाँस फूस के मकान हो जिसमे परिवार जनों को सामान तक निकलने का समय नहीं दिया जाता है, जिसमे खाना बनाने, दबाईया, यदि कोई बीमार या प्रेग्नेंट है उनके भी कागज निकालने तक का वक्त नहीं दिया जाता है जो साफ साफ स्वच्छता अभियान के तहत मानव अधिकारों के उल्लंघन करने जैसा कृत्य है जिसमें इंदौर प्रशासन द्वारा मानव के अधिकारी छीन लिए जा रहें हैं कोई जिए कोई कोई मरे इसका इंदौर प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़ता है कोई अपनी पूरी जिंदगी की जमा पूंजी उसके भवन में लगा देता है और इंदौर प्रशासन एक झटके में उनके सपनों का आशियाना तोड़ देता है मामला है पालदा मे अभिलाषा नगर का यहाँ के रहने वाले बलराम, उनके भाई संभू, तीनों भाई ऒर उनकी दो से टीन पीढ़ी यहाँ मकान बनाकर निवास करते आ रहें है इनके पास उक्त मकान के पट्टे से लेकर रजिस्ट्री भी है अगर इंदौर प्रशासन इस रजिस्ट्री ऒर पट्टे को अवैध करार देते है तो इनको बनाने वाला भी इंदौर प्रशासन ही है जिसमे इनको बनाने वाले जिम्मेदार अधिकारीयों पर कार्रवाही करना चाहिए जब की अभी हाल ही मे नगर निगम मे करोडो के घोटाले उजागर हुए है क्या यह नगर निगम की कार्रवाही को भी इसी नजरिये से देखना होगा क्यों की ऐसे कितने ही आवेदन लोगों के पड़े हुए होते है जिन पर इंदौर नगर निगम प्रशासन आँख मुंदे बैठा है जैसे नेमावर रोड पर रेती की गाड़ियां प्रतिबंध होने के बाद भी कहीं ना कहीं सांठ गाँठ से संचालित हो रही है वही पेट्रोल पंप संचालक भी दलाल की भूमिका निभा रहें है, कहीं मृत गाय पड़ी हुई है जिसमे अपनी सीमा से बाहर का बताकर इंदौर नगर निगम प्रशासन अपना पल्ला झाड लेटा है ऐसे कितने ही मामले देखने को मिलेंगे जहाँ आवेदनों के बाद भी कार्रवाही होना नामुमकिन होता है ऒर निशाना बनाया जाता आम नागरिक को जिनको ना ही कोई सूचना के ऒर ना ही मकान से सामान निकालने की अनुमति दी जाती है ऒर एक झटके मे मकान तोड दिए जाते है उक्त भवन मालिक बाला जिनका मकान प्रशासन द्वारा एक छोटे से आवेदन मात्र से तोड दिया गया ना ही मकान मालिक से उनके मकान से संन्वंधित दस्तावेजों की जानकारी ली गई ऒर ना ही उनकी बात सुनी गई मकान मालिक द्वारा मुख्यमंत्री महोदय को कहा गया है की हमने भाजपा मे यह दिन देखने के लिए वोट दिए थे जिसमे हमें भाजपा के शासन काल मे घर से बेघर होना पड़ेगा ऒर दाल मील मालिक के सडयंत्र का शिकार होना पड़ेगा दाल मील मालिक द्वारका गुप्ता पर उक्त मकान मालिक ने आरोप लगाए है कि झूठा आवेदन देकर हमारा मकान तुड़वाया गया है जिसमे इंदौर प्रशासन की दबँगाई साफ साफ दिखती है मकान मालिक द्वारा मुख्यमंत्री जी से उक्त मकान बनाने हेतु सरकार से सहायता प्रदान करने की अपील की गई है